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दशहरा क्यों मनाते हैं , इसके पीछे राम और रावण की कहानी हैं। दशहरा या विजयादशमी हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार हैं। इस दिन श्री राम चंद्र जी ने लंका के राजा रावण का वध किया था और इसके पीछे एक और कहानी हैं की इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का भी वध किया था। दशहरा बुराई पर सच्चाई की जीत हैं। दशहरा प्रत्येक वर्ष अश्विन मास की दशमी तिथि को मनाया जाता है। दशहरा असत्य पर सत्य की जीत हैं ।

दशहरा को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता हैं। इस दिन राजकीय अवकाश होता हैं।  दशहरा के  दिन रावण को जलाया जाता हैं, और लोगो तक यह मैसेज पहुंचाया जाता हैं की बुराई चाहे जितनी ही बड़ी क्यों ना हो वह अच्छाई से हमेशा हारेंगी।

दशहरा हर्षो – उल्लास का दिन हैं, इस दिन का इंतजार पूरे वर्ष रहता हैं, बाजारों की रौनक तो देखते ही बनती हैं, हर तरफ चका- चौंध होती हैं ।  दशहरा से दिवाली तक का समय बहुत ही अच्छा होता हैं , लोग अपने घरों की साफ़ – सफाई में और सजाने में लग जाते हैं ।  घर की जरुरी चीजों को खरीदते हैं ।  लोग नए घरों में गृह प्रवेश भी करते हैं, इस समय को अच्छा समय मानते हैं, इसमें सभी अच्छे कार्य किये जा सकते हैं ।

दशहरा को दिवाली से 20 दिन पहले मनाया जाता है।  हिंदू पंचांग के अनुसार 2020 का दशहरा  25 अक्टूबर को मनाया जाएगा और इस साल नवरात्रि 9 दिन के न होकर 8 दिन में ही पूरी हो जाएँगी क्योंकि इस बार अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ रही हैं । 2020 में 24 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट तक ही अष्टमी है, उसके बाद नवमी लग जाएगी।

दशहरा
दशहरा

दशहरा के लिए शुभ मुहूर्त

  • दशमी तिथि प्रारंभ – 25 अक्टूबर को सुबह 07:41 मिनट से ।
  • विजय मुहूर्त – दोपहर 01:55 मिनट से 02 बजकर 40 तक।
  • अपराह्न पूजा मुहूर्त – 01:11 मिनट से 03:24 मिनट तक।
  • दशमी तिथि समाप्त – 26 अक्टूबर को सुबह 08:59 मिनट तक रहेगी।

दशहरा या विजयदशमी को अलग -अलग राज्यों में मनाये जाने के कारण

दशहरा या विजयदशमी को अलग -अलग राज्यों में विभिन्न कारणों से मनाया जाता है और भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग ढंग  से मनाते हैं जैसे

भारत के दक्षिणी, उत्तरपूर्वी, पूर्वी और कुछ उत्तरी राज्यों में इस दिन विजयादशमी में दुर्गा पूजा की समाप्ति होती है जिसे भक्त दानव महिषासुर पर धर्म की रक्षा और रक्षा के लिए देवी दुर्गा की जीत के रूप में मनाते हैं। 

उत्तरी, मध्य और पश्चिमी राज्यों में त्यौहार को  दशहरा कहा जाता है और रामलीला को दिखाया जाता हैं और राम की रावण पर जीत को दिखाया जाता हैं । दशहरा के दिन ही मान्यता हैं की अर्जुन ने अकेले ही 1,000,000 से अधिक सैनिकों को और भीष्म, द्रोण, अश्वत्थामा, कर्ण और कृपा सहित सभी कौरवो योद्धाओं को पराजित कर दिया था।

दशहरा या विजयदशमी में नदियों और समुद्रों के किनारे पूजा और अर्चना की भी प्रथा हैं और जिसमे  संगीत और मंत्रों के साथ दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और कार्तिकेय की मिट्टी की मूर्तियों की पूजा की जाती हैं  और उसके बाद उन मूर्तियों और प्रतिमाओं की  विदाई के लिए उन्हें पानी में डुबोते और प्रवाह करते हैं ।

रावण के छोटे , बड़े हर साइज के पुतले बनाकर जगह – जगह जलाये जाते हैं ।  जगह – जगह मेले लगाए जाते हैं, खाने पीने , नृत्य, राम सीता झांकी, और मनोंरजन की व्यवस्था की जाती हैं , लोग अपने – अपने तरीके से इस दिन को एन्जॉय करते हैं ।  जगह – जगह भंडारे और मंदिरों में पूजा अर्चना करते लोग आपको दिखाई देंगे।  घरों में अच्छा पकवान, मेहमानो से भरा हुआ घर, ये नजारा वाकिये में इतना सुन्दर होता हैं, की इसे देखते ही बनता हैं ।

दशहरा मनाने की विधि

दशहरा पूजा लोग अपने घरों में और मंदिरों में जाकर करते हैं, इस दिन श्री राम की पूजा करते हैं और अपने – अपने इष्ट देव की भी पूजा करते हैं । घर में सुबह नहा धो कर कलश की स्थापना करते हैं, और मिठाई और पकवानो से भोग लगाते हैं ।

दशहरा के दिन सर्व प्रथम गणेश जी की पूजा करके, श्री राम दरबार की पूजा अर्चना करे । भगवान् को विधिवत नहलाये धुलाये और उन्हें टीका करे, अक्षत और फूल चढ़ाये। श्री राम जी आरती करे, दीपक जलाये, धूप बत्ती जलाये । घर के सभी लोग एक साथ बैठकर पूजा करें । मिठाई और खीर बनाकर भोग लगाए । किसी भी पूजा को करने के दौरान साफ़ और सफाई का विशेष ध्यान रखे ।

दशहरा के लिए बच्चो में अलग उत्साह

दशहरा एक ऐसा त्यौहार हैं, जो बच्चो को बहुत पसंद होता हैं, क्योंकि कही ना कही इसके पीछे जो कहानी हैं की इस दिन राम जी ने रावण को मार दिया था, जब यही चीज बच्चो को झांकियों के माध्यम से देखने और सुनने को मिलती हैं तो वह फूले नहीं समाते , हर कोई रावण के जलने का इंतजार करता हैं, कही ना कही दशहरा आज भी बुराई की उम्र बहुत छोटी होती हैं, इस बात को दर्शाता हैं ।

दशहरा के दिन हर बच्चे के हाथ में धनुष बाण दिख ही जाएगा, मतलब साफ़ हैं हर कोई राम बनना चाहता हैं, रावण कोई नहीं । ये बहुत अच्छी बात हैं की दशहरा के माध्यम से ही सही छोटे से बड़ो तक सबको अच्छे और बुरे में फर्क करना आ गया ।
दशहरा खुशिया बांटने का त्यौहार हैं। बड़ी भाग्य से ये दिन हमे मिलते है, इसलिए हम सब को एक जुट होकर इस त्यौहार को मनाना चाहिए और अपने समाज और घर में राम राज्य स्थापित करना चाहिए ।

दशहरा भारत का प्रमुख त्यौहार

भारत वर्ष त्यौहारों की जननी हैं, भारत कई रंगो, अलग – अलग रूपों , अलग – अलग भाषाओ और अलग – अलग त्योहारों का देश हैं । यहाँ हर त्यौहार की अपनी एक अलग ही महत्वा हैं । लोग चाहे किसी भी जाति और धरम से क्यों ना हो , सब मिलजुल हर त्यौहार को मनाते हैं ।

ईश्वर करें ये दिन सबकी जिंदगी को खुशियों से भर दे , सबकी मनोकामना पूर्ण करे और खुश रखे ।  हर बुराई से आपको और आपके परिवार को दूर रखे ।

दशहरा एक उत्सव हैं जिसे हम सब पूरे सदभाव से मानते हैं और यह एक सामाजिक मैसेज भी हैं, की आप चाहे जितना झूठ को चिल्ला चिल्ला कर कहे, सच को सामने आने से कोई नहीं रोक सकता। झूठ कुछ पल के लिए शक्तिमान हो सकता हैं, लेकिन सच को कोई भी दबा नहीं सकता हैं । सच को किसी भी बात से डर नहीं होता बल्कि झूठ हमेशा डरता रहता हैं ।

श्री राम जी सच्चे थे तो उनका सबने साथ दिया और विजय भी हुयी, और रावण गलत था तो उसकी उसके खुद की भाई ने भी अवहेलना की, कहने का अर्थ हैं, की अगर आप सच्चे हो तो आपको किसी से डरने की जरुरत नहीं हैं। अपने आस पास गलत काम को कभी बढ़ावा ना दे ।

हर त्यौहार अपने आप में कोई ना कोई सन्देश देते हैं , जिनसे हम सब कही ना कही अच्छी – अच्छी बातों को सीखते हैं और जीवन में सही दिशा पर चलते हैं । यहाँ राम हैं तो रावण भी हैं, ये आप सोचो आपको क्या बनना हैं, आप अपने आने वाली पीढ़ी के लिए कैसे संस्कार और कैसा वातावरण छोड़ कर जाना चाहते हैं । ये हम सब की जिम्मेदारी हैं की हम अपने और अपनों को हमेशा सच्चाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करे जिससे आने वाले समय में हमारे देश भारत का नाम विश्व में सबसे ऊपर हो ।

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