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Navratri दुर्गा माँ की भक्ति और आराधना का त्यौहार है , नवरात्री हिन्दुओ का बहुत ही प्रिय त्यौहार हैं । जिसे सारे हिन्दू बहुत ही उत्साह से मनाते हैं ।  यह 9 दिन लगातार मनाया जाने वाला त्यौहार हैं ।

नवरात्री  में  9 दिन व्रत करने की परंपरा हैं , सब अपनी श्रद्धा के हिसाब से व्रत रखते हैं, कुछ लोग First and Last रखते हैं और कुछ पूरे 9 व्रत रखते हैं । 

Chaitra Navratri 2023
22 March,2023 Maa Shailputri Puja, Ghatasthapana
23 March,2023 Maa Brahmacharini Puja
24 March,2023 Maa Chandraghanta Puja
25 March,2023 Maa Kushmanda Puja
26 March,2023 Maa Skandamata Puja
27 March,2023 Maa Katyayani Puja
28 March,2023 Maa Kalaratri Puja
29 March,2023 Maa MahaGauri Puja
30 March,2023 Maa Siddhidatri Puja, Ram Navami
31 March,2023 Navratri Parana

Navratri 2022, 2 April to 11 April, 2022.

Navratri 2020 17, अक्टूबर, को हैं । Navratri हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पूरे साल में चार बार आती है।  चैत्र और शारदीय Navratri के अलावा दो गुप्त Navratri भी आती है। Navratri में नौ दुर्गा की पूजा की जाती हैं ।

नवरात्रि की के नौ दिनों का सम्बन्ध दुर्गा जी के नौ स्वरूपों से शैलपुत्री, कुष्मांडा, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा,  कात्यायनी,  स्कंदमाता, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जाती है ।  पहले दिन कलश की स्थापना होती है और मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है ।

Navratri
Navratri

नवरात्री को मनाने के पीछे कारण

Navratri को मनाये जाने के पीछे एक धार्मिक मान्यता हैं की भगवान श्री राजा राम चंद्र जी  ने लंका के राजा  रावण को मारने के लिए नौ दिनों तक बराबर दुर्गा माता का पूजा और व्रत किया था और दसवें दिन रावण का वध किया था। इसीलिए दशहरा से पहले नौ दिनों तक माता की जाती हैं । इसी पूजा के बाद से ही शारदीय Navratri के रूप में मनाई जाने लगी ।  उसके बाद से हर साल Navratri मनाई जाने लगी ।

नवरात्री कैसे मनाये

Navratri खुशियों को त्यौहार हैं । Navratri के दौरान घर में, मंदिर में माँ के गीत गाये जाते हैं । ढोलक, मंजीरा, नगाड़े, और ढपली की आवाजों में सब खो जाते हैं , ये माँ की भक्ति का समय होता हैं, लोग चाहे कितने भी व्यस्त क्यों ना हो वो माँ की भक्ति और गुणगान के लिए थोड़ा समय निकाल ही लेते हैं , जोर से बोलो जय माता दी, सारे बोलो जय माता दी , हर तरफ बस माँ की भक्ति , Navratri में ऐसा लगता हैं जैसे साक्षात् दुर्गा माँ हमारे घरों में आ गयी हैं।   जगह – जगह जगराते होते हैं,  लोग रात – रात जागकर माँ का भजन और लांगुरिया गाते हैं । 

Navratri में डांडिया खेलने का अपना ही मजा हैं , स्त्रियाँ सुन्दर- सुन्दर वस्त्र पहनती हैं, सोलह सिंगार करती हैं, खूब सजती और संवरती हैं और पुरुष भी कुर्ता पायजामा पहनते हैं ।  भजन और कीर्तन में कब रात गुजर जाती हैं , पता ही नहीं चलता हैं ।  हर उम्र के लोग नवरात्री का व्रत रखते हैं , सब अपनी अपनी मुरादे माँ से मागंते हैं । 

दुर्गा माँ को हलवा और चना बहुत पसंद हैं, इसलिए लोग हलवा और चना का भोग लगते हैं।  जगह – जगह भंडारे लगाए जाते हैं जहाँ माँ के प्रसाद से लेकर सारे खाने की व्यवस्था होती हैं ।  हर व्यक्ति अपने अपने तरीके से और अपनी स्थिति के अनुसार माँ के चरणों में अपने आप को समर्पित कर देता हैं ।

Navratri व्रत फलाहार लिस्ट

  • सारे फल खा सकते हैं ।
  • देशी घी में फ्राई किये आलू,
  • आलू और टमाटर की बिना हल्दी की सब्जी,
  • आलू की टिक्की,
  • आलू दही चाट,
  • आलू की पापड़ देशी घी से बने हुए,
  • साबू दाना खीर
  • साबू दाना और आलू टिक्की,
  • कूटू और सिधांडे के आते से बनी पूड़ी और पकौड़ी
  • और भी बहुत सारी चीजे आप इस व्रत में खा सकते हैं, खाने में साधारण नमक की जगह सेंधा नमक का प्रयोग करें ।

दुर्गा माँ के 108 नाम -Navratri

  1. साध्वी- आशावादी
  2. सती- आग में जल कर भी जीवित होने वाली
  3. अनन्ता- विनाश रहित
  4. परमेश्वरी- प्रथम देवी
  5. भवप्रीता- भगवान शिव पर प्रीति रखने वाली
  6. भवानी- ब्रह्मांड में निवास करने वाली
  7. भवमोचनी- संसारिक बंधनों से मुक्त करने वाली
  8. आर्या- देवी
  9. चिता- मृत्युशय्या
  10. चिति- चेतना
  11. दुर्गा- अपराजेय
  12. जया- विजयी
  13. शूलधारिणी- शूल धारण करने वाली
  14. पिनाकधारिणी- शिव का त्रिशूल धारण करने वाली
  15. चित्रा- सुरम्य, सुंदर
  16. आद्य- शुरुआत की वास्तविकता
  17. त्रिनेत्र- तीन आंखों वाली
  18. चण्डघण्टा- प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली, घंटे की आवाज निकालने वाली
  19. सुधा- अमृत की देवी
  20. सर्वमन्त्रमयी- सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली
  21. सत्ता- सत-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है
  22. मन- मनन-शक्ति
  23. बुद्धि- सर्वज्ञाता
  24. अहंकारा- अभिमान करने वाली
  25. चित्तरूपा- वह जो सोच की अवस्था में है
  26. सत्यानंद स्वरूपिणी- अनन्त आनंद का रूप
  27. अनन्ता- जिनके स्वरूप का कहीं अंत नहीं
  28. भाविनी- सबको उत्पन्न करने वाली
  29. भाव्या- भावना एवं ध्यान करने योग्य
  30. भव्या- कल्याणरूपा
  31. अभव्या- जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं
  32. सर्वविद्या- ज्ञान का निवास
  33. दक्षकन्या- दक्ष की बेटी
  34. सदागति- हमेशा गति में, मोक्ष दान
  35. शाम्भवी- शिवप्रिया, शंभू की पत्नी
  36. देवमाता- देवगण की माता
  37. चिन्ता- चिन्ता
  38. रत्नप्रिया- गहने से प्यार करने वाली
  39. दक्षयज्ञविनाशिनी- दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली
  40. अपर्णा- तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली
  41. अनेकवर्णा- अनेक रंगों वाली
  42. पाटला- लाल रंग वाली
  43. पाटलावती- गुलाब के फूल
  44. पट्टाम्बरपरीधाना- रेशमी वस्त्र पहनने वाली
  45. कलामंजीरारंजिनी- पायल को धारण करके प्रसन्न रहने वाली
  46. अमेय- जिसकी कोई सीमा नहीं
  47. विक्रमा- असीम पराक्रमी
  48. क्रूरा- दैत्यों के प्रति कठोर
  49. सुन्दरी- सुंदर रूप वाली
  50. सुरसुन्दरी- अत्यंत सुंदर
  51. वनदुर्गा- जंगलों की देवी
  52. मातंगी- मतंगा की देवी
  53. मातंगमुनिपूजिता- बाबा मतंगा द्वारा पूजनीय
  54. ब्राह्मी- भगवान ब्रह्मा की शक्ति
  55. माहेश्वरी- प्रभु शिव की शक्ति
  56. इंद्री- इंद्र की शक्ति
  57. कौमारी- किशोरी
  58. वैष्णवी- अजेय
  59. चामुण्डा- चंड और मुंड का नाश करने वाली
  60. वाराही- वराह पर सवार होने वाली
  61. लक्ष्मी- सौभाग्य की देवी
  62. पुरुषाकृति- वह जो पुरुष धारण कर ले
  63. विमिलौत्त्कार्शिनी- आनन्द – प्रदान करने वाली
  64. ज्ञाना- ज्ञान से भरी हुई
  65. क्रिया- हर कार्य में होने वाली
  66. नित्या- अनन्त
  67. बुद्धिदा- ज्ञान देने वाली
  68. बहुला- विभिन्न रूपों वाली
  69. बहुलप्रेमा- सर्व प्रिय
  70. सर्ववाहनवाहना- सभी वाहन पर विराजमान होने वाली
  71. निशुम्भशुम्भहननी- शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली
  72. महिषासुरमर्दिनि- महिषासुर का वध करने वाली
  73. मसुकैटभहंत्री- मधु व कैटभ का नाश करने वाली
  74. चण्डमुण्ड विनाशिनि- चंड और मुंड का नाश करने वाली
  75. सर्वासुरविनाशा- सभी राक्षसों का नाश करने वाली
  76. सर्वदानवघातिनी- संहार के लिए शक्ति रखने वाली
  77. सर्वशास्त्रमयी- सभी सिद्धांतों में निपुण
  78. सत्या- सच्चाई
  79. सर्वास्त्रधारिणी- सभी हथियारों धारण करने वाली
  80. अनेकशस्त्रहस्ता- कई हथियार धारण करने वाली
  81. अनेकास्त्रधारिणी- अनेक हथियारों को धारण करने वाली
  82. कुमारी- सुंदर लड़की
  83. एककन्या- कन्या
  84. कालरात्रि- काले रंग वाली
  85. तपस्विनी- तपस्या में लगे हुए
  86. किशोरी – जवान लड़की
  87. युवती- नारी
  88. यति- तपस्वी
  89. अप्रौढा- जो कभी पुराना ना हो
  90. महोदरी- ब्रह्मांड को संभालने वाली
  91. मुक्तकेशी- खुले बाल वाली
  92. घोररूपा- एक भयंकर दृष्टिकोण वाली
  93. महाबला- अपार शक्ति वाली
  94. प्रौढा- जो पुराना है
  95. वृद्धमाता- शिथिल
  96. बलप्रदा- शक्ति देने वाली
  97. अग्निज्वाला- मार्मिक आग की तरह
  98. रौद्रमुखी- विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा
  99. नारायणी- भगवान नारायण की विनाशकारी रूप
  100. भद्रकाली- काली का भयंकर रूप
  101. विष्णुमाया- भगवान विष्णु का जादू
  102. जलोदरी- ब्रह्मांड में निवास करने वाली
  103. शिवदूती- भगवान शिव की राजदूत
  104. करली- हिंसक
  105. कात्यायनी- ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय
  106. सावित्री- सूर्य की बेटी
  107. प्रत्यक्षा- वास्तविक
  108. ब्रह्मवादिनी- वर्तमान में हर जगह रहने वाली

आरती अम्बे तू है जगदम्बे काली

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ।।

तेरे भक्त जनों पे माता, भीर पड़ी है भारी। दानव दल पर टूट पडो माँ, करके सिंह सवारी ।।
सौ सौ सिंहों से हैं बलशाली, अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टों को तू ही ललकारती ।।
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ।।

माँ बेटे का है इस जग में, बडा ही निर्मल नाता । पूत कपूत सूने हैं पर, माता ना सुनी कुमाता ।।
सब पर करुणा दरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली । दुखियों के दुखडे निवारत ।।
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ।।

नहीं मांगते धन और दौलत, न चाँदी न सोना। हम तो मांगे माँ तेरे मन में, इक छोटा सा कोना ।।
सबकी बिगडी बनाने वाली, लाज बचाने वाली । सतियों के सत को संवारती ।।
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ।।

चरण शरण में खड़े तुम्हारी ले पूजा की थाली । वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली ।।
मैया भर दो भक्त रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली, भक्तो के कारज तू ही सारती ।।
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ।।

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ।।

दुर्गा माँ की प्रसिद्ध आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी,
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को,
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै,
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी,
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती,
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती,
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे,
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी,
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों,
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी,
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती,
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे,
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे॥
॥ॐ जय अम्बे गौरी…॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी,

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।

Happy Navratri to everyone…

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